हो भले ही सूक्ष्म
लेकिन कर करम तू कर करम
अमूल्य है, तेरा जनम
न व्यर्थ में तू कर खतम
व्यवहार रख सबसे नरम
तू ना मगज को कर गरम
न बने कोई दुश्मन चरम
परिश्रम ही तेरा इक धरम
राहें रहेंगी न सुगम
आहट से लेकिन मत सहम
गर हो जखम तो रख मरहम
तू रख कदम सबसे अहम
न कर वहम, न कर शरम
तू बढ़ाए जा अपने कदम
कुछ ज़िंदगी में रख नियम
न क्षीण हो मन का संयम
शांति बने मोटी रकम
यह ध्येय हो सबका प्रथम
हो भले ही सूक्ष्म
लेकिन कर करम तू कर करम
-प्रशान्त सेठिया
Adhbhut
ReplyDeleteNice 👍 Attractive
ReplyDeleteExcellent
ReplyDelete