कर करम तू कर करम

हो भले ही सूक्ष्म 
लेकिन कर करम तू कर करम

अमूल्य है, तेरा जनम 
न व्यर्थ में तू कर खतम

व्यवहार रख सबसे नरम
तू ना मगज को कर गरम

न बने कोई दुश्मन चरम
परिश्रम ही तेरा इक धरम

राहें रहेंगी न सुगम
आहट से लेकिन मत सहम

गर हो जखम तो रख मरहम
तू रख कदम सबसे अहम

न कर वहम, न कर शरम 
तू बढ़ाए जा अपने कदम

कुछ ज़िंदगी में रख नियम
न क्षीण हो मन का संयम

शांति बने मोटी रकम
यह ध्येय हो सबका प्रथम

हो भले ही सूक्ष्म 
लेकिन कर करम तू कर करम

-प्रशान्त सेठिया