छू कर मेरे दिल को तू यूँ न जा
तू ही मेरे जीने का बस इक जरिया
आ लौट आ तू कहाँ जा रहा
ऐसे न मुझको अब तू रुला
कोई ख़्वाहिशें न रहेगी मुझमें जवां
जब तू न रहेगा मेरे पास हमनवां
हां तू जब से चला ही गया
गुनगुनाने का अब कोई मकसद ना रहा
गुमसुम सा तब से मैं बैठा हुआ
तेरी यादों में जब जब मैं खोता रहा
मुस्कुराने का न अब कोई कारण बचा
तेरा जब से जाना हुआ
छू कर मेरे दिल को तू यूँ न जा
तू ही मेरे जीने का बस इक जरिया
-प्रशांत सेठिया