झाँकियाँ यादों की निकालता होगा

झाँकियाँ यादों की निकालता होगा
कहानियाँ किस्से तो बतलाता होगा

उसके बिन जी ना सकूँगा, अक्सर वो कहता था
साँसों के धागे शायद यादों से निकालता होगा!

टकटकी लगाए इंतजार में चौखट पर बैठा हुआ
शायद आँखों में समन्दर उतारता होगा

दिन का गुज़रना इतना मुश्किल नहीं होता
रातें न जाने वो कैसे गुजारता होगा

उससे मिलने का ठिकाना अब भी वही है
बस बाट उसकी हरदम निहारता होगा

-प्रशांत सेठिया



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