आज एक और पड़ाव पूरा होने को है
भ्रमण एक और जंगल का पूरा होने को है
जंगल में भी भावनाएं शायद काम कर जाए
अपेक्षाएं लेकिन इधर बहुत घनघोर होने को है
कर्मचारी तू उठ और लग जा काम पूरा करने में
वरना बातों ही बातों में बड़ा शोर होने को है
क्या करेगा रात में सोके, थोड़ा माथा और खपा
माँ बोले थोड़ा सोजा, देख बाहर भोर होने को है
जीने के लिए काम है या काम के लिए जीना
बस साल के अंत मे इसी पर गौर होने को है
तेरा बोला शायद सही भी हो लेकिन
साहब ने जो बोल दिया वही तौर होने को है
ठीक है साहब लोगों का ध्यान देना लेकिन
ज्यादा ध्यान दिया तो वो ignore ही होने को है
-प्रशान्त सेठिया
Wah....nice one
ReplyDeleteThank you😊🙏
ReplyDeleteNice one 🙂
ReplyDeleteThank You🙏😊
DeleteNice
ReplyDeleteThank you😊🙏
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