मंगल पर मंगल ढूंढ़ने वालों
जरा मंगल यहाँ तो करलो
जिस धरती पर जन्मे हो
उसका फ़र्ज़ अदा तो करलो
सबके मंगल का सोचलो
अमंगल सबका मिटालो
भगवान भी बैठा सोचे
क्या करे मनुष यहाँ आके
जिसका हृदय बना था मुलायम
क्यों बदला अब उसका रसायन
जिसको है घड़ा मैंने उत्तम
वो ही खो रहा नियंत्रण
सबका मंगल कैसे हो पाए
क्यूँ ना चित्त अब इसमें लगाए
प्रयत्न क्यूँ व्यर्थ तुम करते
क्या करोगे उधर पहुँच के
क्या जगह इधर अभी कम है
जो जाकर उधर धमाके करने
पहले जीना इधर तो सीखो
फिर ज्ञान उधर का लिखो
कहाँ तक विस्तार करोगे
दो हाथ से कितना भरोगे
पहले अंतरमन की तो सुनलो
वरना ख़ाक है कुछ भी करलो
-प्रशांत सेठिया
Sahi baat hai
ReplyDeleteThank you😊🙏
DeleteVery nice
ReplyDeleteThank you😊🙏
DeleteExcellent 👍
ReplyDeleteThank you😊🙏
DeleteSuperb lines 👍
ReplyDeleteVery impressive...
ReplyDeleteThank you 😊🙏
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