झीणी चादर माय
छुपाले म्हारी मांय
इती मोठी टुनिया
थां बिन म्हने न सुहाय
पग पग सट्टे
बात्यां पलटे
किणरी बात्यां ने मैं
खरी समझूँ बताय
मिनखां रो कंया
मैं समझूँ मिज़ाज
कुण है आंपारों
कुण परायो बताय
मुंडे माथे सगळा ही
मीठा मीठा बोले
किण पर भरोसो
करूँ मैं, तू बताय
थां बिन कदई ना
भटकूँ में रस्तो
बस इतणी सी बात
तू म्हने दे बताय
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