दो पत्ते

यह वही दो पत्ते हैं
जो धरा चीर निकले हैं
जो बड़े शरमाये से हैं
जो धरा पर बिल्कुल नये हैं
थोड़े वक्त अकेले रहना
सर्दी गर्मी सब अकेले सहना
दुआ है यह जल्द बढ़ेंगे
एक पौधे का रूप ये लेंगे
धरती पर क्यूँ आया है
उन्होंने ध्येय पाया है
रख ध्यान तू इसका बंदे
कर पालन तू इसका बंदे
यह तुझसे कुछ न लेंगे
पर आजीवन सब कुछ देंगे
यह सच्चा प्रेम निभाने
इंसान को यह बतलाने
कि देना सबकुछ औरों को
देना तुम कभी न रोको
जो देता है वो याद रहेगा
सच्चा प्रेम इन्ही से मिलेगा

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