तो सही

तुझे सोचना भी बंद कर दूँ
लेकिन तेरी यादें जहन से जाए तो सही
मैं ताउम्र तेरे इंतज़ार में गुज़ार दूँ
लेकिन तू एक वादा कर जाए तो सही
मैं सारे रिश्ते बखूबी निभा भी दूँ
लेकिन कोई अपना हाथ बढ़ाए तो सही
मैं सारे गिले शिकवे भुला भी दूँ
लेकिन कोई अपनी गलती माने तो सही
मैं तारे तोड़ ला भी दूँ
लेकिन चाँद खुद से घर आये तो सही
मैं ख़ुद को तुझ पर लुटा भी दूँ
लेकिन वह भरोसा कोई दिलाए तो सही
मैं सिसकना बंद कर भी दूँ
लेकिन कोई वह एक वजह बताए तो सही
मैं कभी उठूँ भी न नींद से
कोई फिर से वही गोद बतलाए तो सही
मैं रूठना बंद कर भी दूँ
बस कोई एक बार दिल से मनाए तो सही

3 comments: