है कौनसा जाम अब बाकी
इतना तो बता मेरे साकी
इनसे तो लगी नहीं झपकी
अभी तो रात बहुत है बाकी
क्या है पास तेरे ओ साकी
उसकी यादें हो फीकी ताकि
यादों से जितना मैं भागूँ
सारी कोशिश हो जाये हल्की
सो पाऊँ चैन की निंदिया
बस इतनी आस है बाकी
हुआ सोना मेरा ओ साकी
जैसे लगे यादों की झाँकी
नींदों में जाने मैं क्या क्या
बकने हूँ लगा बेबाकी
कबसे ना जाने मुझे साकी
अच्छी लगने लगी एकांकी
खिलखिलाते जीवन को मेरे
न जाने नज़र लग गई किसकी
है कौनसा जाम अब बाकी
इतना तो बता मेरे साकी
इतना तो बता मेरे साकी
इनसे तो लगी नहीं झपकी
अभी तो रात बहुत है बाकी
क्या है पास तेरे ओ साकी
उसकी यादें हो फीकी ताकि
यादों से जितना मैं भागूँ
सारी कोशिश हो जाये हल्की
सो पाऊँ चैन की निंदिया
बस इतनी आस है बाकी
हुआ सोना मेरा ओ साकी
जैसे लगे यादों की झाँकी
नींदों में जाने मैं क्या क्या
बकने हूँ लगा बेबाकी
कबसे ना जाने मुझे साकी
अच्छी लगने लगी एकांकी
खिलखिलाते जीवन को मेरे
न जाने नज़र लग गई किसकी
है कौनसा जाम अब बाकी
इतना तो बता मेरे साकी
-प्रशान्त सेठिया
Keep it up👍
ReplyDeleteThank you🙏😊
DeleteVery Nice poem Sir.
ReplyDeleteThank you🙏😊
DeleteNice👍
ReplyDeleteThank you🙏😊
DeleteExcellent 👌👌👍
ReplyDeleteThank you😊🙏
DeleteHeart touching👌👌
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