मैं और साकी

है कौनसा जाम अब बाकी
इतना तो बता मेरे साकी
इनसे तो लगी नहीं झपकी
अभी तो रात बहुत है बाकी
क्या है पास तेरे ओ साकी
उसकी यादें हो फीकी ताकि
यादों से जितना मैं भागूँ
सारी कोशिश हो जाये हल्की
सो पाऊँ चैन की निंदिया
बस इतनी आस है बाकी
हुआ सोना मेरा ओ साकी
जैसे लगे यादों की झाँकी
नींदों में जाने मैं क्या क्या
बकने हूँ लगा बेबाकी
कबसे ना जाने मुझे साकी
अच्छी लगने लगी एकांकी
खिलखिलाते जीवन को मेरे
न जाने नज़र लग गई किसकी
है कौनसा जाम अब बाकी
इतना तो बता मेरे साकी

-प्रशान्त सेठिया

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