मेरा जूता

मेरा जूता
कब से है अछूता
लाया था काला
अब लगता है भूरा
बारिशों में 
सिकुड़ा थोड़ा
कसियाँ उसकी
जैसे कलफ़ लगाया
अलमारी से बाहर निकालो
बार बार आवाज़ लगाता
उसको ख़बर क्या
बाहर मंजर क्या छाया
पता नही कब दफ्तर खुलेगा
जब अलमारी से ये बाहर निकलेगा

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