मैं बैठा नभ के नीचे
आगे देखूँ कभी पीछे
नज़रें है टिकी मेरी घन पर
हर दफ़ा रूप ये बदले
बादल के रूप अनोखे
जो मन, पलकें भी न झपके
पल में कुछ से कुछ बनकर
नित नई पहेली बूझे
कभी भोर साँझ रंगीन बने
जैसे खुशियों की बारातें
कभी बिन रंगों के साए
जैसे दुःखों का साया सर पे
कभी लगे थार सा दूर दूर
जहां जीवन बड़ा विषम हो
कभी लगे ये सागर की लहरें
जो अपनी मौज में चल हो
कभी लगे किनारे तट के
जहां सूरज भी नहाने आए
कभी मेघ वेग से जाते
जैसे जल्दी मे कहीं हो निकले
कभी आपस में ये दौड़ लगाए
मानो कोई तमगा मिलना है
कभी लगे चिराग से जिन्न आकर
मानो हर हूक्म को पूरा करदे
कभी बड़ा लगे गुब्बार धुँए सा
कोई परमाणु द्वंद हो जैसे
कभी लगे रेल की पटरी
जिस पर स्वर्ग की सैर हो पाए
कभी लगे टोलिया मानव की
जो कहीं दूर देश से आए
कभी लगे भीड़ हो मेलों में
जहां खुशियाँ बाँटी जाए
कभी लगे बड़ा रेवड़ का झुंड
जो खेतों से चर के आए
कभी लगे रामसेतू सा मेघ
जहां नल नीर ने पत्थर डाले
कभी लगे हो शिव का मुख मंडल
जो तन पे भष्म रमाए
कभी लगे हो कुटिया शबरी की
जहां राम को बैर खिलाये
कभी लगे दशानन प्रकट हुवे
और देखे क्या पाप कुछ कम है
कभी लगे कि रण में रथ हो खड़ा
और कान्हा गीता पाठ सुनाये
कभी लगे है शैय्या बाणों की
जहां सब भीष्म को शीश नमाये
कभी लगे इंद्र का देवलोक
जहां सब देव सभा मे आए
कभी लगे ये वाहन देवों के
जो धरती पर गश्त लगाए
कभी लगे ये राणा का चेतक
जो हल्दीघाटी चढ़ जाए
कभी लगे तैयार हो चित्ता कहीं
जहां कोई मुक्ति धाम को पाए
कभी लगे ये मेघ हो धन का ढेर
जो सब को लालच सिखलाए
कभी लगे मशालें बुझी हुई
अब इनको कौन जलाये
कभी लगे मेघ में छुपा कोई
अपना अपनों को खोजे
कभी लगे बादलों संग रवि
जैसे आँखमिचौली खेले
कभी लगे किसानों की आशा
जैसे सपने सब पूरे कर दे
कभी बने किसानों का ये ख़ौफ़
कहीं खेत खराब न कर दे
कभी लगे हिमालय पर्वत
जो न कभी अपना शीश झुकाये
कभी लगे चांदनी चादर ओढ़े
ये चंदा से शरमाए
कभी लगे ये प्रांगण शाला का
जहां हर कोई शिक्षा पाए
कभी लगे ध्यान में ऋषि मुनि
जो हरि भक्ति में रम जाये
कभी लगे हो गाँधी बापू सा
जो दांडी यात्रा पे जाए
कभी लगे कि जैसे इंसान हो ये
उसके जैसे ही वो रंग बदले
कभी लगे मुकुट हो सतरंगी
जैसे ताजपोशी कर आए
कभी लगे किनारे हो सोने के
जैसे दुल्हन का जोड़ा हो
कभी लगे कि चादर बिन रंगी
जैसे अर्थी पे डाली जाए
घन, बादल, मेघ तेरे नाम अनेक
वैसे ही तेरे दर्शन है
जैसा मेरे मन मे चलता
वैसा ही कुछ दिख जाए
हरियाली से घन आकर्षित है
बस मानव इतना तो समझ पाए
ताकि मेरा मेघों पर ये अनुभव
वो सब महसूस भी कर पाए
Stop cutting trees. Save and grow them.
No words.......... Awesome 👍🙏👌❤️❤️
ReplyDeleteThank you🙏😊
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