फ़रियाद

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इक आखिरी दफ़ा मुझको सुला ले गोद में माँ
जन्नत तू ही मेरी रब से न कुछ भी माँगना माँ
जन्मोजन्म मिले मुझको तेरा आसरा माँ
जन्नत तू ही मेरी रब से न कुछ भी माँगना माँ


है तू ही ईश्वर मेरा तुझसे ही मेरा ये जहाँ माँ
सजदा करुं तेरा, मस्तक मेरा है झुका माँ
हरदम मिले मुझे आँचल का साया ओ मेरी माँ
जन्नत तू ही मेरी रब से न कुछ भी माँगना माँ


मैं गिरता रहा तू मुझको उठाती रही माँ
मैं भटकता रहा तूने अच्छी सी राह बताई माँ
गिरते भटकते अब मैं, चलने के लायक हो गया माँ
जन्नत तू ही मेरी रब से न कुछ भी माँगना माँ


खाने में नाटक मेरे, हँस के जो तूने सह लिए माँ
सेहत न देखी ख़ुद की, मौसम हो कोई भी भले माँ
हरदम मुझे तूने चाहा जो बनाके दे दिया माँ
जन्नत तू ही मेरी रब से न कुछ भी माँगना माँ

4 comments:

  1. मां से जीवन की सुरुवात हैं
    मां से ही जीवन का अंत हैं।
    मां के आ से आगमन,
    मां के म से मुक्ति।

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