सांत्वना

एक एक करके जाना है एक दिन सबको
तू काहे करे भारी पलकों को
एक एक करके जाना है एक दिन सबको
तू सोचे और क्या हो जाये अगले पल को
एक एक करके जाना है एक दिन सबको

रोने से आनन्द कभी मिले न उनको
तुम हँस के याद करो उनके साथ बीते पल को
एक एक करके जाना है एक दिन सबको

तू बाँध हिम्मत सबकी न टूटने दो ख़ुद को
उनकी गैर हाज़िर में तुझे पालना है सबको
एक एक करके जाना है एक दिन सबको

है खेल सब करमों का तू दोष मत दे ख़ुद को
आयुष पूरी होने पे अरे गिरना है फल को
एक एक करके जाना है एक दिन सबको

तू आगे निभा उनकी अच्छी बातों को
यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि उनको
एक एक करके जाना है एक दिन सबको


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एक एक करके जाना है

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