तेरी हामियाँ और मेरी खामियाँ
इनसे ही तेरा मेरा मिलन हुआ
तेरी हामियाँ और मेरी खामियाँ
बस ऐसे ही तेरा मेरा मिलन हुआ
अब जब हमको तेरी आदत हुई है
तू इस दिल से क्यूँ रुखसत हुई है
कुछ तो हमारे बारे में सोचो जाना
कैसे गुजारूं जीवन तेरे बिना
अश्कों की लड़ियाँ पिरोती ही जाए
जब जब मुझको तेरी याद सताए
बीच मझधार माझी जाता भी है क्या
ऐसे भला कोई करता भी है क्या
रातों को जब जब तुझको निहारूँ
अश्कों से सारी तस्वीर भीगा डालूँ
कोई जब मुझसे पूछे क्यों रो रहा हूँ
बस इतना बता कि उनको क्या मैं बोलूँ
ऐसा नहीं हो कि देरी हो जाये
तेरे आने से पहले कहीं हम ना खो जाएं
बैठ के हम सारी उलझन सुलजाले
फिर से वही पुरानी प्रीत निभाले
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