एक अपील

पता नहीं ये कब समझेंगे
सरकार की बात ये कब मानेंगे
क्यों जीवन को यूँ ठुकराते
जान का मुल्य ये कब जानेंगे

चौड़ी सड़कें संकरी गलियाँ
जाने का ना कोई ज़रिया
फिर भी निकले, घूमे, डोले
बार बार क्या तुझको बोले

क्या उनके परिवार नहीं है
मोहब्बत से सारोबार नहीं है
मत बन पागल अब भी संभल ले
घर में रुक, यात्रा को टाल ले

मुश्किल से जो गति मिली थी
शनि जाल में पड़ी फंसी सी
अर्थ तंत्र बैसाखी पकड़े
बढ़ने को वह हरदम तरसे

मानव का नाम बचाले मानव
मत बन तू अब फिर से दानव
बर्ताव में थोड़ी नरमी धरले
जो बोले योद्धा उसको सुनले

योद्धाओं पर सारा देश है आश्रित
फिर भी क्यूँ करते अपमानित
कुछ तो शर्म हृदय में भर लो
इंसानियत का परिचय तो दो

ये युद्ध नहीं किसी शत्रु से है
लड़ाई ख़ुद की ख़ुद से ही है
जो संयम का शस्त्र धरेगा
"कोविड" उसका कुछ न करेगा

हाथ जोड़ करूँ सबसे विनती
मानो जीवन बहुत कीमती
मत फैलाओ कोविड को तुम
रहो सचेत सुरक्षित हरदम