महामारी

बेबसी इंसानों में ऐसी देखी नहीं
खतरा है या चेतावनी कुदरत की
अभी तक क्रूरता महामारी की ऐसी देखी नहीं

इंसानों को खतरा इंसानों से हमेशा ही रहा है
बिना अस्त्र शस्त्र की मारामारी ऐसी देखी नहीं

राजाओं के महल भी अछूते नहीं रहे
इंसानों को इंसानों से घबराहट ऐसी देखी नहीं

जो घूमते थे बेपरवाह घर से बाहर
उन्होंने घर में नजरबंदी ऐसी देखी नहीं

कुदरत के ख़िलाफ़ मानव कितना जायेगा भला
खुद के खिलाफ कुदरत की नियती ऐसी देखी नहीं

सैंकड़ों महामारियों ने घेरा है मानव जाति को
पर जैसी तबाही "कोरोना" से हुई है
अब तक तबाही ऐसी देखी नहीं

दृष्टि

शहंशाओं के रुतबे ज़ार होते देखे हैं
शब्दों के बाण दिल के पार होते देखे हैं
कर्मो के खेल अदभुत होते है
सारथी को ज्ञान का संचार करते देखे हैं

कभी शांत तो कभी दरिया में ज्वार देखे है
मन मे उठे सैकड़ों विचार देखे हैं
इश्क़ के दीवाने यूँहीं बदनाम नहीं होते हैं
लौ में जलते पतंगे हज़ार देखे है

अबला पे समाज को सवार होते देखे है
भरी सभा में पंडितों को गंवार होते देखे है
सही औऱ गलत समय के अधीन ही तो होते है
नारी अपमान से सैकड़ों संहार होते देखे है

हट्टे कट्टे को बीमार होते देखे हैं
कुरीतियों से बिकते घर बार देखे हैं
एक चेहरे में अनेकों किरदार होते है
दिलों में अंधेरे किन्तु रोशन बाज़ार होते देखे है

प्यार से सराबोर कभी, बंटते परिवार देखे हैं
सगे भाइयों में मनमुटाव अपार देखे हैं
जर ज़मीन क्या कभी साथ में जाते है
बस इसी चक्कर में रिश्ते तार तार होते देखे हैं

इंसानों में ही देव और दानवों के अवतार होते देखे हैं
दवाखानों में इंसानियत के व्यापार होते देखे हैं
सब चिकित्सक ऐसे ही नहीं होते है
बाबा आम्टे जैसों के सम्पूर्ण जीवन,
समाज कल्याण में निसार होते देखे है

आदमी के पीछे औरत की ज़िन्दगी के रंग निकलते देखे है
लाख तानों के बावजूद बच्चों की ढ़ाल होते देखे है
पता नही कि औलाद ये त्याग कैसे समझते है
पर माताओं के दिल हमेशा ही दिलदार होते देखे है