क्यूँ आँसू आया

एक वारी मुझको
था रोना आया
मैं समझ न पाया
क्यूँ आँसू आया

गीला था तकिया
थी धीमी सिसकियां
मैं समझ न पाया
क्यूँ आँसू आया

ना कोई गम था
न मैं हँसा जोर से
फिर भी न समझा
क्यूँ आँसू आया

न थी बहना की डोली
न लिफ़ाफ़े में कोई मोळी
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया

था बापू ने ना डाँटा
न अनुभव कोई कड़वा
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया

कोई ना था मुझसे गुस्सा
कोई ना था मुझसे रूठा
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया

5 comments: