एक वारी मुझको
था रोना आया
मैं समझ न पाया
क्यूँ आँसू आया
गीला था तकिया
थी धीमी सिसकियां
मैं समझ न पाया
क्यूँ आँसू आया
ना कोई गम था
न मैं हँसा जोर से
फिर भी न समझा
क्यूँ आँसू आया
न थी बहना की डोली
न लिफ़ाफ़े में कोई मोळी
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया
था बापू ने ना डाँटा
न अनुभव कोई कड़वा
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया
कोई ना था मुझसे गुस्सा
कोई ना था मुझसे रूठा
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया
था रोना आया
मैं समझ न पाया
क्यूँ आँसू आया
गीला था तकिया
थी धीमी सिसकियां
मैं समझ न पाया
क्यूँ आँसू आया
ना कोई गम था
न मैं हँसा जोर से
फिर भी न समझा
क्यूँ आँसू आया
न थी बहना की डोली
न लिफ़ाफ़े में कोई मोळी
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया
था बापू ने ना डाँटा
न अनुभव कोई कड़वा
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया
कोई ना था मुझसे गुस्सा
कोई ना था मुझसे रूठा
फिर भी ना समझा
क्यूँ आँसू आया
Superb
ReplyDeleteThank you,😊🙏
DeleteWah kya baat hai
ReplyDeleteThank you,😊🙏
Deleteबहुत बढ़िया 👌
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