अब मैं वो रहा नहीं

अब मैं वो रहा नहीं
बचपन मेरा खोया कहीं
नासमझ मेरा मन था
वो समझ गुम है कहीं
अब मैं वो रहा नहीं

बिन बताये न था जाता कहीं
चौखट पे माँ गर होती देरी
माँ से जो अब दूर हुआ
ना वो गोदी ना ही वो लोरी
अब मैं वो रहा नहीं

सब फ़रमाईसें पापा से थी
पतंगें हों या गोली होली
अब घर चलाने मैं लगा
कुछ ना कुछ तब से है बाकी
अब मैं वो रहा नहीं

सबसे ज्यादा था मैं जिद्दी
गुस्सा जिसका हरपल साथी
जो कैसे बेजुबां हुआ
कुछ तो दबा दिल में भारी
अब मैं वो रहा नहीं

पल यारों के जो याद आएं कभी
पलकें भीगें लब पे हँसी
अब जैसे सब गुम हुआ
चारों तरफा दुनिया नई
अब मैं वो रहा नहीं

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