मैं जागा, की मस्ती
हो गई सोने में देरी
मैं जागा, और भागा
फिर भी छूटी मेरी गाड़ी
पकड़ी फिर, मैंने अगली
काले कोट ने पर्ची फाड़ी
मैं चोंका, फिर बोला
भैया मेरी छूटी गाड़ी
वो देखा, मुस्काया
बोला मत समझो मुझे अनाड़ी
मैनें देखा, पर्ची को
गुस्से से फूली नाड़ी
फिर संभला, और सोचा
खुजलाते मेरी दाढ़ी
दे ही दूँ, जो ये मांगे
ताकि ना हो मुझको देरी
फिर देखा, और ढूंढ़ा
बटवा क्यूँ खेले आँखमीचोली
अब लाऊँ, मैं कहाँ से
ना मेरे पास थी फूटी कोड़ी
घर छूटा, मेरा बटवा
और थी साथ में उसके चाबी
अब उसको, क्या बोलूँ
धकधक करती मेरी नाभि
जितने में, वो बोला
भाई हो गई क्या गड़बड़ी
मैं बोला, घर छूटा
बटवा जिसमें थी दमड़ी
मुझको तुम, जाने दो
कर दो मुझपे मेहरबानी
कल दूँगा, में तुमको
वैसे भी रकम न है ये भारी
समझा वो, कारण भी
और जाने की आज्ञा दी
मैं मुस्काया, मन ही मन में
और दे डाली उसको झप्पी
मैं भागा, अब वहाँ से
सोचा न हो कभी ऐसी "हड़बड़ी"
हो गई सोने में देरी
मैं जागा, और भागा
फिर भी छूटी मेरी गाड़ी
पकड़ी फिर, मैंने अगली
काले कोट ने पर्ची फाड़ी
मैं चोंका, फिर बोला
भैया मेरी छूटी गाड़ी
वो देखा, मुस्काया
बोला मत समझो मुझे अनाड़ी
मैनें देखा, पर्ची को
गुस्से से फूली नाड़ी
फिर संभला, और सोचा
खुजलाते मेरी दाढ़ी
दे ही दूँ, जो ये मांगे
ताकि ना हो मुझको देरी
फिर देखा, और ढूंढ़ा
बटवा क्यूँ खेले आँखमीचोली
अब लाऊँ, मैं कहाँ से
ना मेरे पास थी फूटी कोड़ी
घर छूटा, मेरा बटवा
और थी साथ में उसके चाबी
अब उसको, क्या बोलूँ
धकधक करती मेरी नाभि
जितने में, वो बोला
भाई हो गई क्या गड़बड़ी
मैं बोला, घर छूटा
बटवा जिसमें थी दमड़ी
मुझको तुम, जाने दो
कर दो मुझपे मेहरबानी
कल दूँगा, में तुमको
वैसे भी रकम न है ये भारी
समझा वो, कारण भी
और जाने की आज्ञा दी
मैं मुस्काया, मन ही मन में
और दे डाली उसको झप्पी
मैं भागा, अब वहाँ से
सोचा न हो कभी ऐसी "हड़बड़ी"
😊😊
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