आज का युवा

जवां धड़कनों का बढ़ता हुआ कारवां ये
जाने थमेगा कहाँ किसी छाँव में ये

सुलगता नही है धधकता है शोला इनकी आँखों में
रोशन है इन्ही की संगत से सारा जहां ये

गुस्सा नहीं है आदत बुरी इनकी जानो
बहुत से सवालों का गुम्बद लिये घूमते हैं

कहाँ से हटेगा तिमिर इनके मन से कौन जाने
काश, अभी से किरण कोई इनको भी कहीं दिख पाए

मेहनत बिना कैसे राज पाएं
बस कैसे भी शिखर तक पहुँच पाएं

मैं हैरान हूँ इनके चुने रास्तों से
क्यूँ ना घर से ही फिर से नई शुरुआत की जाये