वो भाग रहा, मैं था बस में
खिड़कियाँ बस की सारी बंद थी
बारिश बहुत जोरों की थी
उसकी भी छतरी, न सर पर थी
बस में न जगह चींटी की थी
तो चालक ने बस रोकी भी ना थी
क्यूँ मेरा ध्यान गया उस पर
क्यूँ सोच पड़ा मैं भी क्षण भर
बोलूँ चालक को थोड़ा ठहर भी जा
लेले उसको, मत छोड़ के जा
कोई तो उसका भी इंतज़ार करे
शायद माँ ही हो जो चिंतित विचार करे
मैंने सच्चे मन से प्रभु को याद किया
वैसे ही सिग्नल लाल हुआ
अब दो मिनट बस रुक जायेगी
उसको भी ये बस मिल जायेगी
उसके चेहरे पे मुस्कान खिली
जब उसको भी बस में जगह मिली
भागे भागे वो पूरा भीग गया
अदा शुक्रिया प्रभु का फिर भी उसने था किया
मेरे मन में भी शुकून आया
मैंने भी प्रभु को प्रणाम किया
किसी अंजान का था सोचा अच्छा
और मेरा भी मन प्रसन्न हुआ
खिड़कियाँ बस की सारी बंद थी
बारिश बहुत जोरों की थी
उसकी भी छतरी, न सर पर थी
बस में न जगह चींटी की थी
तो चालक ने बस रोकी भी ना थी
क्यूँ मेरा ध्यान गया उस पर
क्यूँ सोच पड़ा मैं भी क्षण भर
बोलूँ चालक को थोड़ा ठहर भी जा
लेले उसको, मत छोड़ के जा
कोई तो उसका भी इंतज़ार करे
शायद माँ ही हो जो चिंतित विचार करे
मैंने सच्चे मन से प्रभु को याद किया
वैसे ही सिग्नल लाल हुआ
अब दो मिनट बस रुक जायेगी
उसको भी ये बस मिल जायेगी
उसके चेहरे पे मुस्कान खिली
जब उसको भी बस में जगह मिली
भागे भागे वो पूरा भीग गया
अदा शुक्रिया प्रभु का फिर भी उसने था किया
मेरे मन में भी शुकून आया
मैंने भी प्रभु को प्रणाम किया
किसी अंजान का था सोचा अच्छा
और मेरा भी मन प्रसन्न हुआ