जाना

जाना ओ मेरी जाना
तू अब है कहाँ
जाना तेरा जाना
लागे कोई यातना
जाना ओ मेरी जाना...

आँगन में मेरी जाना
नैना ढूंढे निशां
बिन तेरे सूना जहाँ है
अकेला सा लागे मकां
जाना ओ मेरी जाना...

राहें अपनी जगह है
मुकम्मल न कोई मक़ाम
तुम बिन ओ मेरी जाना
अब तो नहीं कुछ आसां
जाना ओ मेरी जाना...

तेरा साथ ही तो
था मेरा इक वरदान
जाना कौन जाने
कैसा हो अब अंजाम
जाना ओ मेरी जाना...

जाना तेरा न आना
धुंधला सा जैसे समां
मौसम यूँ तो बदलते
पर आये ना फिर वो फ़िज़ां
जाना ओ मेरी जाना...

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