इतनी सी बात बता

तू बस इतनी सी बात बता
अब तक के सारे ख़्वाब बता
मुस्कान तेरी गायब क्यूँ है
वो छुपे सारे जज़्बात बता

तू क्यूँ नहीं झपकी ले पाता 
जैसा बचपन में सोता था
झपकी बेेफिक्री वाली और
वैसे सोने का अंदाज बता

इतने साधन होने पर भी
तेरा मन फिर क्यूँ डोल रहा
आखिर संतोष मिले जिससे
वो इक सूची तैयार बता

तू निर्णय कब कर पायेगा
कि राह तेरी अब क्या होगी
ज़िम्मेदारी बढ़ती जायेगी
क्या है तुझको इसका बोध बता

तेरे अपने तुझसे चाहे
कि तू अब उनकी पार लगायेगा
लेकिन कब तक तू देखेगा उनको
तेरे धोते सारे पाप बता

"राजा", कभी "मना" तूने न सुना
क्या सबको "हाँ" कर पायेगा
धैर्य, जज़्बा और ताकत तुझमें
क्या है मौजूद बस आज बता

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