इतनी सी बात बता

तू बस इतनी सी बात बता
अब तक के सारे ख़्वाब बता
मुस्कान तेरी गायब क्यूँ है
वो छुपे सारे जज़्बात बता

तू क्यूँ नहीं झपकी ले पाता 
जैसा बचपन में सोता था
झपकी बेेफिक्री वाली और
वैसे सोने का अंदाज बता

इतने साधन होने पर भी
तेरा मन फिर क्यूँ डोल रहा
आखिर संतोष मिले जिससे
वो इक सूची तैयार बता

तू निर्णय कब कर पायेगा
कि राह तेरी अब क्या होगी
ज़िम्मेदारी बढ़ती जायेगी
क्या है तुझको इसका बोध बता

तेरे अपने तुझसे चाहे
कि तू अब उनकी पार लगायेगा
लेकिन कब तक तू देखेगा उनको
तेरे धोते सारे पाप बता

"राजा", कभी "मना" तूने न सुना
क्या सबको "हाँ" कर पायेगा
धैर्य, जज़्बा और ताकत तुझमें
क्या है मौजूद बस आज बता

हक़ीक़त

महकमें क्यूँ सुलगने लगे
जब कोई अपने पनपने लगे
क्या उनमें इतने शोले थे जो
अब जोरों से धधकने लगे

दुरी ऐसे कब आ गई जो
मिलने को भी तरसने लगे
बहुत समझ वाले लगे थे जो
जाने अब क्यूँ बहकने लगे

मुझसे सारे हँस के मिलते थे
तो होंठ मेरे भी हंसने लगे
नहीं मालूम था हँसते चेहरे भी
अंदर से क्रूर निकलने लगे

हँस के धोखा देना उनको
न जाने कैसे आम लगे
मेरा अब उनसे उबरने की
कोशिश हर दिन और शाम लगे

तेरी पीढ़ी तुझसे ही सीखेगी
क्यूँ इतना तुम ना सोच सके
चाह फूलों की रखते हो फिर
क्यूँ काँटे बो के बतियाने लगे

जाना

जाना ओ मेरी जाना
तू अब है कहाँ
जाना तेरा जाना
लागे कोई यातना
जाना ओ मेरी जाना...

आँगन में मेरी जाना
नैना ढूंढे निशां
बिन तेरे सूना जहाँ है
अकेला सा लागे मकां
जाना ओ मेरी जाना...

राहें अपनी जगह है
मुकम्मल न कोई मक़ाम
तुम बिन ओ मेरी जाना
अब तो नहीं कुछ आसां
जाना ओ मेरी जाना...

तेरा साथ ही तो
था मेरा इक वरदान
जाना कौन जाने
कैसा हो अब अंजाम
जाना ओ मेरी जाना...

जाना तेरा न आना
धुंधला सा जैसे समां
मौसम यूँ तो बदलते
पर आये ना फिर वो फ़िज़ां
जाना ओ मेरी जाना...

जल के जल में जाऊँ

जल के जल में जाऊँ
फिर सागर में मिल जाऊँ
लहरों के साथ मैं खेलूँ
और हरदम मौज मनाऊँ

सारी परवाहें छोड़ूँ
मद मस्त सा बन के डोलूँ
जीतेजी जो ना पाया
तुझ में मिलके वो पाऊँ

शब्दों में मैं खो जाऊँ
बस तुझको लिखता जाऊँ
जो हम में बीती अब तक
इक कोशिश से गा पाऊँ

परतें दर परतें खोलूँ
वो राज सभी मैं बोलूँ
जो तू कल से नाखुश हो
मुझे डर है तुझे न खो दूँ

छुप के मैं सो जाऊँ
उस नींद से ना उठ पाऊँ
गर फिर से खोलूँ आँखें
माँ का हाथ ललाट पे पाऊँ