मेरी भावना

महकता रहूँ फूलों की तरह
काँटों से ना घबराऊँ
चुनता चलूँ छोटी छोटी खुशियाँ
जीवन को गुलिस्ताँ बनाऊँ

सीखूं समझूँ छोटी छोटी बातें
खुद को बड़ा ना बनाऊँ
बचपन मेरा जाये कभी ना
हर हाल में मैं खिलखिलाऊँ

सपने जुड़े हो जमीं से मेरे सारे
नामुनासिब ख़याल न आये
मेहनत करूँ चींटी के तरह मैं
और सपनों को पूरा कर पाऊँ

बुरा न सोचूँ किसी के भी खातिर
भला गर मैं ना कर पाऊँ
लीन रहूँ अपने ही करम में
और सबका मैं हाथ बंटाउँ

कोशिश करूँ गर कुछ दे सकूँ मैं
जिम्मेदारी से जीवन बिताऊँ
गैरों की मुस्कान अच्छी लगे और
खुशियाँ सब में बाँट पाऊँ

आदर करूँ मैं सारे बड़ों का
छोटों में प्यार लुटा पाऊँ
ध्यान रखूँ बस एक बात मैं
किसी क्लेश का कारण न बन जाऊँ

अच्छे से जानू तो राय भी दे दूँ
वरना मैं चुप हो जाऊँ
बिना ज्ञान के यूँ ही किसी को
मैं कभी भी कहीं न उलझाऊँ

सारे धरम का आदर करूँ मैं
नफरत कभी न फैलाऊँ
खुशियाँ लगे मुझको सबकी प्यारी
सबके दुःख में मैं शरीक हो पाऊँ

नाजों से जिसने मुझको पाला
सेवा मैं उनकी कर पाऊँ
कर्जा है जो कभी न चुकने वाला
बस फ़र्ज़ मैं अपना निभा पाऊँ

रहमत रहे तेरी मुझपे हमेशा
पूरी आस्था से ध्यान लगाऊँ
आँखें हो नम और मस्तक झुका सा
जब भी तेरा दीदार पाऊँ

4 comments: