तू ही बता

तुझ से नाराज़ रहूँ
या फिर नया आगाज़ करूँ
चलना मुझे नहीं आता
तू ही बता
तेरी यादों के समन्दर पे
डूब जाऊँ या तैरता रहूँ

रंगत बदलती रहती है
दिल की हर पल
मिज़ाज़ नहीं रहते एक से
कभी तू तो
कभी तेरा खयाल
जहन में रहता ही है
तू ही बता
तुझे याद करता रहूँ या
भूलने की नाकाम कोशिश करूँ

अनगिनत मोड़ है
इस ज़िन्दगी की राह में
हर दूसरा घुमाव
तेरी तरफ मुड़े
सोचने लगता हूँ
हर मोड़ पे
कि मंजिल कहीं
पीछे तो रह नहीं गई
तू ही बता
कि अब मैं चलता चलूँ या
इंतज़ार में तेरे कहीं
किसी मोड़ पे रुकूँ

यक़ीनन खुश ही रहेगी
बिना मेरे ये तेरी जिंदगी
क्योंकि मेरा कोई काम
तुम्हे दुःख दे
ऐसा हो ही नहीं सकता
भले मेरा जाना ही क्यों न हो
तू ही बता
कि तू खुश है ना,
यही विचारुं
या कुछ और सोच के
आँखें नम करूँ

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