बचपन के बारिश की यादें

माँ अब भी क्या मैं तुम्हे बारिश में
हमेशा याद आता हूँ क्या

वैसे ही कोई बेपरवाह अब भी मेरे जैसे
पनाल के नीचे धार का साथ देता है क्या

क्या अब भी कोई पकोड़े बनने का इंतज़ार
खाली थाली में धनिये की चटनी लिए करता है क्या

क्या अब भी कोई बौछारों से
अपने कपड़े भीगोता है क्या

क्या अब भी कोई भीगे कपड़ो को
उतारे बिना दिन भर तेज़ बारिश का
इंतज़ार करता है क्या

क्या अब भी कोई गीले पाँवों से
रसोई तक कुछ खाने को जाता है क्या

क्या अब भी कोई पागलों जैसे भीगे हुवे
जोर जोर से गाता है क्या

क्या अब भी कोई आँगन के नाले बंद करके
आँगन को तालाब बनाता है क्या

और तालाब बनाके उसमें
तैरने के करतब कोई दिखाता है क्या

क्या अब भी कोई बारिश के बाद
लाल मखमली कीड़े काँच के डिब्बे में भरता है क्या

क्या अब भी कोई बारिश होने के बाद
मिट्टी के महल बनाता है क्या

क्या अब भी कोई घर की दीवारों पे
गीली मिट्टी से कलाकृतियां बनाता है क्या

क्या अब भी कोई इंद्रधनुष को देखने के लिए
बारिश के बाद घंटो छत पे बैठा रहता है क्या

क्या अब भी कोई बारिश से हुई सर्दी में
तुलसी अदरक के काढ़े का इंतज़ार करता है क्या

क्या अब भी कोई गीली मिट्टी में
सुबह सुबह ग्वार लगाता है क्या

क्या बारिश में विद्यालय ना जाने के बहाने
आज भी कोई बनाता है क्या

और क्या अब भी कोई बारिश के बाद
रेत के टीलों पे घूमने जाता है क्या

और क्या अब भी कोई सावन का इंतज़ार
मेरी तरह करता है क्या

वहाँ बारिश बहुत कम थी पर शौक रहता था
यहाँ बारिश की कमी नहीं पर
माँ की डाँट बिना नहाने का मजा भी कहाँ

4 comments:

  1. Heart touching.......tumhari kavitayen bachpan me le jati hai.... hothon pe muskan aur aankhon me nami de jati hai.....

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  2. Very nice bro, memories refresh ho Gayi,keep it

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