लफ्जों की चुप्पी

लफ्जों की चुप्पी
मन में हंगामा
कुछ तो है दिल में
जो है न सुनने वाला

मत क्रोध दे
थोड़ा शांत रह
धधकता है शोला
न अभी बुझने वाला

ख्वाब था सुंदर
क्यों नींद टूटी
गर होता पता तो
था मैं कहाँ उठने वाला

वो एक बात है
जो न बदली कभी
मरता था तुझ पे
हूँ ऐसे ही रहने वाला

ना जाने नजर हम पे
किसकी लगी थी
सोचा बहुत, खैर
होता ही है, जो होने वाला

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