नदिया मीठी, सागर खारा
अंत तो है, खारा ही खारा
नदिया की तो मंजिल सागर
होना पड़ेगा उसे भी खारा
ठीक वैसे ही समझ मेरे प्यारे
जीवन मीठा, काल है खारा
काल की दस्तक से पहले तू
जीवन करले मीठा सारा
मोह भोग सब लगता मीठा
लेकिन सब जहर सम खारा
संचय उतना मत कर जिससे
अंत हो जाये बिल्कुल खारा
नदिया सम तू बहता चल
जीवन सब को देता चल
गर तू नहीं दे पाया कुछ भी
वैसे भी सब होना है खारा
बैर भाव को तू क्यूँ रखता
क्यूँ करता तू प्रतिस्पर्धा
धारण धैर्य को करके देख
जब चढ़ जाये तेरा पारा
अकड़ अगर तूने करली तो
समझो सबके मन से उतरा
ध्यान तू औरों का भी रख ले
मनभावन होगा तेरा औरा
गर कमाया खुद ही खो देगा
जाने पर तेरे न कोई रोयेगा
जो है थोड़ा देता चल
संचय का न कोई किनारा
कुछ तो ऐसा काम तू करले
जिससे याद करे जग सारा
जीवन मीठा मृत्यु मीठी
तेरे लिए हो ना कुछ भी खारा
अंत तो है, खारा ही खारा
नदिया की तो मंजिल सागर
होना पड़ेगा उसे भी खारा
ठीक वैसे ही समझ मेरे प्यारे
जीवन मीठा, काल है खारा
काल की दस्तक से पहले तू
जीवन करले मीठा सारा
मोह भोग सब लगता मीठा
लेकिन सब जहर सम खारा
संचय उतना मत कर जिससे
अंत हो जाये बिल्कुल खारा
नदिया सम तू बहता चल
जीवन सब को देता चल
गर तू नहीं दे पाया कुछ भी
वैसे भी सब होना है खारा
बैर भाव को तू क्यूँ रखता
क्यूँ करता तू प्रतिस्पर्धा
धारण धैर्य को करके देख
जब चढ़ जाये तेरा पारा
अकड़ अगर तूने करली तो
समझो सबके मन से उतरा
ध्यान तू औरों का भी रख ले
मनभावन होगा तेरा औरा
गर कमाया खुद ही खो देगा
जाने पर तेरे न कोई रोयेगा
जो है थोड़ा देता चल
संचय का न कोई किनारा
कुछ तो ऐसा काम तू करले
जिससे याद करे जग सारा
जीवन मीठा मृत्यु मीठी
तेरे लिए हो ना कुछ भी खारा
Bahut khub 😀
ReplyDeleteThank-you🙏
DeleteNice
ReplyDeleteBahut khub 👌👌👌👌
ReplyDeleteThank-you🙏
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