ए माँ कैसे भुलाऊँ

ए माँ कैसे भुलाऊँ
हँसती तेरी मुरतिया
मेरे रोम रोम में है
वात्सल्य की वो छाया
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

ना होश में रहूँ मैं,
लम्हों को याद करके
उनमें ही मैं खो जाँऊ
जिनमे था तेरा साया
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

पिछले जनम का शायद
कोई पुण्य था हमारा
जिससे ही हमने तेरा
आनंदित साथ पाया
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

तेरे बिन ये ज़िन्दगानी
क्या होगी कभी ना जानी
तेरी याद इक हंसाए
पल में भिगाए अँखियाँ
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

तेरे ऋणी रहेंगे
कर्जों में तूने डाला
माँगी न कौड़ी तूने
निःस्वार्थ प्यार लुटाया
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

तेरी एक एक बातें
अब भी हो जैसे ताज़ा
अवसर भले हो कुछ भी
तेरा नाम मन में आया
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

हर एक कोना घर का
तेरी याद वो दिलाये
चहक थी तेरे कदम से
सन्नाटा अब है छाया
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

तू थी त्याग की वो मूरत
खुद की न कोई चाहत
परिवार खुश रहे बस
इतनी ही थी तेरी दुआ
ए माँ कैसे भुलाऊँ...

ए माँ कैसे भुलाऊँ
हँसती तेरी मुरतिया
मेरे रोम रोम में है
वात्सल्य की वो छाया

6 comments:

  1. श्रद्धांजलि अर्पित करने का बहुत अच्छा तरीका

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  2. Miss u Maa....aap ki jagah hamare dil aur ghar me koi nai le sakta....hum bahut khushnasib hai jo aapka itna niswarth pyaar paya....aap sachmuch ek farishta thi...aapka aashirvad hum sab pe banaye rakhna.....Love u....

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