जीत

तू क्यूँ नहीं बढ़ पा रहा
चिंता तुझे किस बात की
तू चला चल, रुक नहीं
मिलेगी जल्द ही समृद्धि

औरों से भले ही सीख ले
बजाय उनकी नक़ल के
पहचान अपनी शक्ति को
उत्कृष्ट बन बिन मतलबी

उम्मीद रख और करम कर
कमजोरियों पर कर फतह
हावी न उनको होने दे
गर चाहता है तरक्की

धैर्य रख हिम्मत न खो
रस्ते में मुश्किल आएगी
लड़ना ही है डट के तुझे
नेकी से बढ़ ना कर बदी

जग न बढ़ पायेगा गर
रफ़्तार तेरी रुक गयी
अनगिनत तू से बना
संसार तेरा सुरमयी

तू कुछ समझ ना पायेगा
तेरा वक़्त ज़ल्द ही जाएगा
आदत समझ जो रोके तुझे
निश्चय ही जीत तू पायेगा

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