शायरियाँ

क्यों नहीं हँस पाते है लोग,
चाहते नही हैं या है परिस्थिति का बोझ
कोशिश जारी रख ए मेरे दोस्त जंग ए मैदान है ये जिंदगी
मुस्कान लब पे रख और चला चल हर रोज

मिलकियत तुम्हारी किस पे क्या होगी
खाली हाथ ही तो आये थे जैसे सब आये थे
दावा तो ऐसे करते हो हर किसी पे जैसे
तुम्हारे बिन ये दुनिया कदम कैसे बढ़ाएगी

मुझे पता है मेरा एक भी कलमा
तेरे तक नहीं पहुँचा होगा तूने देखा तो जरूर पर पढ़ा न होगा दरकिनारी की हद तो देखो राजा सैंकड़ो सलाम भेजे होंगे मजाल है सामने से एक सलाम भी आया होगा

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