यकीं नहीं आता तो

तकलुफ तुम्ही से रखता हूँ
इसलिए दिन रात परेशान करता हूँ
यकीं नहीं आता तो मेरे पड़ोस वाले चाचा से पूछ लेना
कि मेरी उनसे आखरी बात कब हुयी थी

खामोशियाँ तन्हाईयाँ ज़िन्दगी में गर है
मतलब कोई तो है जिसके होने की उपस्थिति नहीं रही
यकीं नहीं आता है तो मेरे बर्ताव से पूछ लेना
कि बिना चिड़चिड़ेपन के आखरी बात कब हुयी थी

सवेरे से सांझ तक आँखें किसको तलाशती है
यह सवाल आखिरी दम तक रहेगा
यकीं नहीं आता है तो मेरी रातों से पूछ लेना
कि बेफ़िक्री की नींद आखिरी बार कब ली थी

प्यार करना और प्यार पाना जैसे आसमाँ और ज़मीन है
जुड़े हुए दिखते जरूर है दूर से किन्तु है नहीं
यकीं नहीं आता है तो मेरी आदतों से पूछ लेना
कि किसी ने उसकी तारीफ आखरी बार कब की थी

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