बात ही कुछ और थी


ज़िन्दगी बहुत ही हसीं थी जनाब
पैसे देके भी वो मजे नहीं है शहर में
बिन पैसे के किये मजों की
बात ही कुछ और थी

घर पे छोटी साइकल थी
अधे को किराये पे बीकानेर की घाटियों में घुमाने की
बात ही कुछ और थी

महँगी चॉकलेट्स भाई नेपाल से भेजा करता था
पर स्कूल और क्लास के बाहर
एक रुपये की चार फाँकों की
बात ही कुछ और थी

लॉन्ग वेकेशन में हॉलिडे बुक नहीं होते थे जनाब
बचपन के दोस्तों संग दिन भर खेलने की
बात ही कुछ और थी

जन्मदिन पर केक तो बहुत बाद में आने लगे थे जनाब
प्रसाद के बाद छोटू मोटू के रसगुल्लों और समोसों की
बात ही कुछ और थी

होटलों का खाना तो शहर आके ही देखा था जनाब
साल में कभी कभार आनंद के डोसों की
बात ही कुछ और थी

फल रसाल से छबड़ी भरी रहती है जनाब
उस वक़्त तो भुआ की बिहार से लायी हुयी लिच्ची की
बात ही कुछ और थी

एक घर में कम से कम दस गेंद मिल जायेगी अभी
पर दस जन मिलके एक गेंद लाके खेलने की
बात ही कुछ और थी

अभी होली पे बन्दे रिसोर्ट की बुकिंग करवाते है जनाब
सांग बन के इकट्ठे किये पैसो से गोठ की
बात ही कुछ और थी

अभी के बच्चों जैसे नाटक कहाँ थे खाने में जनाब
वो घर के खाने की
बात ही कुछ और थी

डोनट पिज़्ज़ा या गार्लिक ब्रेड इतने तो नाम भी पता थे
सर्दी में फेंणा रोटी और गर्मी में राबड़ी की
बात ही कुछ और थी

कोई भी फंक्शन अब कैटरिंग वाले को दे देते है
खुद से खातिर कर के अंत में खाने की
बात ही कुछ और थी

एप से बुक की हुयी गाड़ी सीधे घर के नीचे जाती है
घर के आगे ऑटो के मिलने की
बात ही कुछ और थी

बचा हुआ खाना इधर डस्तबिन में जाता है जनाब
गाय कुत्ते को खिलाने के सुकून में
बात ही कुछ और थी

अलार्म से बंद कमरों में एसी के नीचे आँख खुलती है
चिड़ियों के चहकने से उठने की
बात ही कुछ और थी

गीजर से नल में सीधा गर्म पानी आता है जनाब
तपेली में चूल्हे पे किये गर्म पानी की
बात ही कुछ और थी

2 comments: