गर खुश हो तो, खुश रहो

हमसे रुख़सत होके भी गर खुश हो तो, खुश रहो
हमें दरकिनार करके भी गर खुश हो तो, खुश रहो
ख़ामोशी तो खाये जा रही है तुम्हारी मुझे
सिर्फ मुझसे ही खामोश होने में
गर खुश हो तो, खुश रहो

हालात कैसे भी रहे हों मेरे
मैं हर हाल में तेरे साथ था
मुझे बेवजह छोड़ के जाने में
गर खुश हो तो, खुश रहो

शहर की चकाचौंध नहीं लगी मुझे
आज भी तेरी हरएक अदा याद है
पता नहीं क्यों मुझे यूँ भुलाने में
गर खुश हो तो, खुश रहो

मैं दोष किसको दूँ तेरी इन खताओं का
मेरे आसपास तो मैं भी नहीं रहता
मुझसे मेरी ज़िन्दगी यूँ छीनके
गर खुश हो तो, खुश रहो

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