पंछी का काम है उड़ना

पंछी का काम है उड़ना और दाना लाना
वो एक काम तो उसे करना ही पड़ेगा
गर जीना है जीवन शान से
तो घरोंदे से बाहर जाना ही पड़ेगा

घरोंदे में आखिर कब तक बैठेगा पंछी
कब तक बाहर के तूफान देखेगा
कभी तो उसे भी सामना करना पड़ेगा
हवा के थपेड़ों के विपरीत उसे भी उड़ना पड़ेगा

उसकी मर्जी भी है
कि वो उड़े या ना उड़े
जाए बाहर घरोंदों से या ना जाए
लेकिन कब तक अपनों के सहारे जीवन बिताएगा

गर ना भरी उड़ान उसने तो
वो उस घरोंदे को ही खा जायेगा
अपनों के भरोसे को वो
तार तार कर जायेगा

दाने बिना जीवन की कल्पना भी श्राप है
बिना उड़ान के दानों की सोच भी पाप है
अपनों का सहारा सहारे बिना कैसे मिलेगा
ये साधारण सोच ही पंछी को उड़ाएगा

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