म्हारी दादी - My Grandmother


म्हारी दादी री कई बात बताऊ,
बा सगळा स्यूं न्यारी ही,
दिखण में एकदम चिन्नी सी,
काम में बा ही सांठी

दादोजी रे कड़क स्वभाव पर,
कुटुंब कबीलो समझावे दादीमाँ ने सगळो,
खोळे लेवो रूपे ने थे तो,
बांरो स्वभाव थांसु कांई छानो,
दादीमाँ बोली रूपे रो स्वभाव तो में भी जाणु,
पण रुपे री बहु ने भी मैं लाखोँ में एक मानू,
बेटे-बहु-पोते संग खोळे आया,
बेटा हुग्या रूपजी बापू बणग्या बादरमलजी,
दादीमाँ ने दिखगी आगे री, सेवा बहू करसी म्हारी,
दिखण में एकदम....

चार बज्यां की उठ जाती बा,
गुड़ चुगो लेर निकलती,
रात री बासी रोटियाँ भी,
गायां डांगर ने देती,
पछे घरे आकर के बा,
दो तीन समायां भी करती,
घंटी, दिया, सरवा और लोटा,
धुड़े सु सब ने चमकाती,
चट्टो प्रोल बारुंदा बरवाकर,
पछे मटक्या छाणती,
दिखण में एकदम....

नवकारसी रे आते ही,
कुल्ला दान्तण चालू करती,
दोन्यू बतीसी ने काड के,
बिल्लू कटोरे में बाने रखती,
पछे लेर उंगली में मंजन,
बा साफ़ पेला मुंडो करती,
पछे बुरश सु बतीसी ने,
थोड़ी देर बा चमकाती,
दिखण में एकदम....

आधे टिकड़े रे सागे बा,
चाय गिलास भर ळे लेती,
पछे बेटको लेरपरी,
विद्यापीठ मराजरे जाया करती,
मंगलीक सुन के झट झट उठ के,
घरां पछे पाछी आती,
बीच में बाई गुलाब शांति सु मिलके,
काथी काथी घर पर आती,
दिखण में एकदम....

जद जीमण में दो फलका सु,
ज्यादा कदई बा खा लेती,
घणो खाइज ग्यो घणो खाइज ग्यो केर,
नाड़ो नीचे करती,
पछे पेट पर हाथ फेर के,
थोड़ी देर बा सो जाती,
कुण है गर कोई बाने पूछे,
कोठी माईनलो घुण है बा बतलाती,
दिखण में एकदम....

आधी घण्टा निठे सुंवती,
फेर उठ बा बैठी होती,
काड मशीन सिलाई री,
बा पछे खोटमो काड्या करती,
चुग्गा बीणा टांका मरम्मत,
दोपारे में करिया करती,
चार बजता ही हेल्लो मारती,
सुनता चाय बना लाती,
दिखण में एकदम....

हल्को खाणो दिन-थकां जिमती,
रात ने दूध पाणी खुलो रखती,
सिंजयां पड़िरा परतीकमणो करती,
हाथ जोड़ मंगलीक कहती,
रात ने मांचे पर सुंवती,
जग बुझ बतियाँ देख्या करती,
माजी री दिनचर्या ही,
एकदम सादो जीवण जीती,
दिखण में एकदम....

बगस छोटी सी बीरे वास्ते,
कपड़ा बा थोड़ा ही रखती,
इक चप्पल घर री बारे री,
माथे पर जाळी बांध्या करती,
पहाड़ा आता बिने चाळीस तक,
टिंगरां ने माळनी बोलाया करती,
गणित बिरी बड़ी तगड़ी ही,
आंगलिआं पर हिसाब राख्या करती,
रात ने सुवण सु पेला,
झिंटीये रे कहाणी सुणावती,
दिखण में एकदम....

बहुआं पर थोड़ी तेज़ ही,
टाबरां पर हियों राखती,
भाई केशु-पिंटू रे बयांव पर,
सरारा छोरियां रे बनाय दी,
पेर सरारा माजी रे हाथ रा,
इतराई इकलौती पोती-दोयति,
साड़ियां गोटा पती री बहुआं ने,
हाथां सु बणार पेंरावती,
दिखण में एकदम....

कदि बील, कदि पोदीणो,
और कदि लिम्बू पाणी,
ऊनाळे री दोपारी में बा,
शर्बत घणा बनाती,
सिलबट्टे पर खस बादाम और मगज री,
बा ठंडाई भी घरां बणाती,
ऊनाळे में मांचा कसती,
निवारां में टांका देती,
दिखण में एकदम....

रात ने मांचे पर सुंवती,
जग बुझ बतियाँ देख्या करती,
नींद बिरी घणी सुजग ही,
हल्के खड़के सु उठ बैठी होती,
जद जद सुंवता डागळे पर,
भर चुकलियो बा लाती,
कर छिड़काव लगा बिछाणा,
बांध मसूरी बा देती,
दिखण में एकदम....

सियाळे में मैथी रे लाडू रा,
समान बा मँगवाती,
फेर रात भर बीने भिजो कर,
दूजे दिन लाडू बणाती,
बशाली में टीवी देखता,
जद टाबरियां ने ठण्ड लागती,
माजी लेर धोती काम्बल और
बांस रो परदो बा करती,
दिखण में एकदम....

सगळा रे झुकाम जुलाब रो
माँ ही घासो करती,
जद भी किरेही धरण उतरती,
माँजी चुकलियो धरती,
माळा रे दिन गोबर रा पिरोलिया,
मोळी में बा पो देती,
दहन पछे खीरा पर पापड़,
अकरा अकरा सेक्या करती,
दिखण में एकदम....

जद तक काम नहीं सलटतो,
बडोड़ा बिचलोड़ा करती,
छोटोड़ा री झुंझायां पर,
बिने झुंझलाहट भी होती,
झट झट कर द्यूँ ला मने दे,
एक डायलाग पक्को हो,
ना कोई बेठोड़ो सांवतो,
ना बा खुद कदई बैठती,
दिखण में एकदम....

म्हारी पड़दादी भी ,
आपरी बहु सु ही पतिजता,
घर में भले ही सगळा होता,
पण म्हारी माँ ने ही उड़ीकता,
घर में ज्यूँ ही माँ पग धरती,
बीजू री माँ पाणी भर दे,
पछे माँ रा बोल सुन परा,
पड़दादी म्हारी हँसती,
दिखण में एकदम....

आस पड़ोस रिश्तेदारी में,
जद भी टाबर होतो,
बीरे नाम पर लाल झाळर री टोपी,
म्हारे माँ बिना नहीं बणती,
गवरजा ईशर भायोजी,
भी उड़ीकता माँजी ने,
कि होली रे बाद म्हाने भी,
नुवा कपड़ा और गेहणा पेरासी,
शारदा ने फ़ोन करपरि,
किर्चा बा मँगवाती,
पड़दादी रे निम्बुरस री,
फ़ांक्यां बा ही लाती,
दिखण में एकदम....

दाल सुंठ हल्दी और मिर्चियाँ,
केर सांगरी और फोफलियां,
बड़ी खेळरा पापड़ खिचिया,
चूरी और खाटे री गोलियां,
कई कई में थाने नाम गिनाऊ,
बा सब में कारीगर थी,
आजकल तो खुद रा ही नहीं बणे,
पण बा सब रा ही बणवाती,
दिखण में एकदम....

जद बाने जाणो होतो पिरे,
गन्नीड़े रे टाँगे ने बुलांवती,
पेर कड़प रो ओढ़णो,
दो मिंट में तैयार हो जांवती,
घणाई जीमण बांठियां में होंता,
सपरिवार सब ने ले जांवती,
पाँच घराँ में बारी बारी,
सब सु मिलके आंवती,
दिखण में एकदम....

घाट बाट दलिया और शिरा,
अबे कोनी बणे बिता,
और त्योंहारां में कढ़ावा,
भी नहीं बणे पेला जिता,
टाबरिया जद भी कुटीजता,
तू छोडावण ने जाती,
दे भाड़ो पुचकार परो,
दो पल में राजी कर लेती,
दिखण में एकदम....

मैं जद बाळपणे में,
आखो दिन बीमार पड्यो रहतो,
तिलक, झाड़ा, मादलिया, घासा,
चूक नहीं पाये कोई,
रात रात जद सियाळे में,
ओढ़ रजाई लेर खोळे में बैठी रहती कोनी सोती,
इण माँजी ने किंया भुलावा,
म्हारे समझ नहीं आती,
दिखण में एकदम....

थांरा अंतिम दर्शन नहीं करने रो मलाल रेसी,
पण थांरे जेड़ी दादी पर म्हाने गुमान रेसी....

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